108 एंबुलेंस, फोटो क्रेडिट - सोशल मीडिया |
तामिया खास ख़बर। भले ही सरकार प्रदेश में एक छोर से दूसरे तक विकास और योजनाओं का लाभ पहुंचाने का लाख दावा करती हो, लेकिन छिंदवाड़ा जिले के चांवलपानी से आई तस्वीर उन्हें खोखले ही साबित कर रही है। गंभीर रूप से बीमार और हादसों के शिकार लोगों को अस्पताल पहुंचा कर उनकी जान बचाने वाली 108 एम्बूलेंस सेवा इन दिनों अधिकारियों की लापरवाही से खुद लापरवाही की गंभीर बीमारी से घिरी हुई है। बीते गुरुवार एंबुलेंस को कॉल करके बुलाने पर नहीं पहुंची तो राहगीरों ने निजी वाहन से सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाया है। जबकि माहुलझिर थानाक्षेत्र की एम्बूलेंस तामिया में खड़ी हुई रहती है। ताजा मामला माहुलझिर थाना क्षेत्र के जमुनिया पंचायत का है। जहां जमुनिया गांव निवासी नितेश पटेल का बीते गुरुवार को चांवलपानी - नजरपुरढाना रोड पर हादसा हो गया था जिसमें उन्हें गंभीर चोटे आई हुई थी। जिसे एंबुलेंस से अस्पताल ले जाने के लिए राहगीरों ने कई बार 108 पर कॉल किया। आरोप है कि कॉल सेंटर में कॉल रिसीव होने पर भी एंबुलेंस नही आई। उधर घायल व्यक्ति नितेश पटेल की लगातार हालत बिगड़ रही थी हालत को देखते हुए राहगीरों ने नितेश के भाई सतीश पटेल के साथ मिलकर किराए के निजी वाहन से 50 किलोमीटर दूर स्थित पिपरिया अस्पताल पहुंचाया। जहां उन्हें उपचार के लिए भर्ती कराया गया। घटना को लेकर पीड़ित परिजन और ग्रामीणों का कहना है कि शासन ने इमरजेंसी के लिए 108 एंबुलेंस को चांवलपानी के लिए जारी किया है परंतु इस क्षेत्र की एम्बूलेंस तामिया में खड़ी हुई रहती है। बार-बार कॉल करने पर भी कोई फोन नही उठता है। और यदि उड़ा भी लें तो तामिया से यहां आने में 2 से 3 घंटे लग जाते है। कई बार तो एंबुलेंस आती ही नहीं है ऐसी स्तिथि में निजी वाहनों में गर्भवती महिलाओं और एक्सीडेंट के मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। ग्रामीणों ने जल्द से जल्द व्यवस्था को दुरुस्त करने और चांवलपानी के लिए जारी 108 एंबुलेंस सेवा को तामिया के बजाय चांवलपानी अस्पताल में गाड़ी रहने की मांग की है।
जानकारी के मुताबिक, छिंदवाड़ा जिले के चांवलपानी इलाके में पहले भी इस तरह की लापरवाही के कई मामले सामने आ चुके हैं। जहां 108 एंबुलेंस को कॉल करके बुलाने पर भी नही आती है। जबकि चांवलपानी के नाम से 108 एम्बुलेंस मिली हुई है परंतु यह एंबुलेंस चांवलपानी में रहने के बजाय तामिया ने खड़ी रहती है। कई बार एंबुलेंस को कॉल करके बुलाया गया है परन्तु एंबुलेंस न पहुंचने पर निजी वाहनों से गर्भवती महिलाओं और एक्सीडेंट के मरीजों को अस्पताल पहुंचाया गया है। लेकिन आज तक इन मामलों में कोई कार्रवाई देखने को नही मिली है।
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